Thursday, February 20, 2020
फगवाड़ा का एक ऐसा मंदिर जहां होती है लोगों की मुरादे पूरीप्राचीन शिव मंदिर पक्का बाग जहां उलटा शिवलिंग स्थापित हैफगवाड़ा का प्रसिद्ध शिव मंदिर पक्का बाग एक एेतिहासिक महत्व वाला स्थान है। 15वीं शताब्दी में अस्तित्व में आया यह मंदिर उलटे शिवलिंग के स्थापित होने के कारण विशेष महत्व रखता है। भारत में सिर्फ दो स्थानों पर उलटे स्वरुप में भगवान शंकर के स्वरुप स्थापित हैं। दूसरा स्थान हिमाचल प्रदेश में पांडव काल का मंदिर श्री कालीदेव अक्लेश्वर का कहा जाता है। उलटे स्वरुप स्थापित होने की कहानी: मान्यता यह है कि पक्का बाग (स्टार्च मिल) में स्थापित इस मंदिर मंे शिवलिंग स्थापना के लिए कश्मीरी पंडितों को बुलाया गया था। उन्होंने विधिपूर्वक पूजा अर्चना करके स्थापना करवाई। पूजन के बाद पोलो राम जो उस समय कपूरथला की रियासत के साहूकार थे, यह स्थापना का जिम्मा उनका था। वह मिस्त्री को इसे ठीक से लगाने का बोलकर वहां से चले गए। परंतु मिस्त्री समझ नहीं पाया और शिवलिंग का चौड़ा हिस्सा ऊपर रखते हुए नुकीला हिस्सा जमीन के भीतर गाढ़ दिया। परंतु कुछ देर बाद जब पोलो राम पंडितों सहित वापिस आया तो शिवलिंग उलटा देख वह दंग रह गए। पोलो राम ने मिस्त्री को आदेश दिया कि तुरंत इसे सीधा किया जाए। हथौड़े से पहला प्रहार करने पर शिव लिंग से जल की धारा निकली, दूसरे प्रहार से दूध की धारा निकली। परंतु जब मिस्त्री से तीसरा प्रहार किया तो शिवलिंग में से रक्त की धारा निकल आई। तभी आकाशवाणी हुई कि पोलो राम तेरा सर्वनाश हो। यह सुनकर मौके पर से सभी लोग वहां भाग गए और तब से यह शिवलिंग उलटा ही स्थापित है। करीब 500 सालों से शिवलिंग की इसी स्वरुप मंे पूजा की जाती है। मंदिर कि ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से अगर कोई भी 40 दिन तक ज्योति जगाकर अर्चना करता है तो उसकी मनोकामना पूरी होती है।फगवाड़ा से करणवीर आनंद की रिपोर्ट
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